Saturday, August 10, 2019

सफर




यूँ तो चलना अकेले ही होता है ,
इस सफर में जिसे ,
हम ज़िन्दगी कहते है ,
मगर राहे - दोराहे पर ,
मिलते चले जाते है ,
कुछ साथी ,
चलते है कदम दर कदम ,
फिर कुछ छूट जाते है ,
और कुछ नए मिल जाते है ,
कुछ सबब दे जाते है ,
कुछ सबक ,
कुछ रास्ते सपाट से ,
कुछ में चुभते कंकड़ ,
कुछ खट्टी ,
कुछ मीठी यादो से ,
चलता रहता है सफर ,
तलाश में मंजिल की।

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