Monday, February 15, 2021

मेरी कवितायेँ

 

मुझे पता है मेरी कवितायें ,

व्याकरण के नियमों पर खरी नहीं उतरती ,

साहित्य के मापदंडो पर कही नहीं ठहरती ,

न कोई गूढ़ रहस्य उजागर करती है ,

मगर फिर भी मैं लिखता रहता हूँ,

बेतरीब, लिखना मुझे अच्छा लगता है,

एक अधूरापन , एक खालीपन

कुछ कमियाँ  जैसा मेरी कविताओं में झलकता है ,

वैसा ही तो जीवन भी होता है ,

सब कुछ पूर्ण हो जाता तो ,

फिर क्या कविता और क्या जीवन ,

पूर्णता के बाद फिर क्या बचता है। 

 

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