Wednesday, April 19, 2023

नियम

 

प्रकृति का अपना नियम है संतुलन का ,

उसके लिये कोई अमीर -गरीब होता है क्या ?

 

कुछ भी अकारण नहीं होता जहाँ में ,

किसी का नफा , किसी का नुकसान नहीं होता क्या ?

 

माना कि हरेक की अपनी क़िस्मत होती है ,

कर्मों से बहुतों ने किस्मत बदली नहीं क्या ?

 

सभी बँधे है साँसों की एक अदृश्य डोर से,

आज तक कोई अमर हुआ है क्या ?

 

जितना गुरुर , अहं पाल ले कोई ,

एक दिन मिट्टी में मिला नहीं क्या ?

 

हर रिश्ते की एक अहमियत है ,

अपेक्षा रखने से पहले उपेक्षा देखी है क्या ?

 

सुख़ -दुःख तो आते -जाते रहेंगे ,

वक्त कभी सदा सा रहता है क्या ?

 

कर्मों का स्पष्ट विधान है " आनन्द ",

बिना बीज के कोई पेड़ उगा है क्या ?

 

ज़िन्दगी तो जीना चाहती है हमारे साथ ,

हमारे पास उसकी सुनने के लिए वक्त है क्या ?

1 comment:

  1. इसे हम कविता नहीं कर सकते यह सपाट बयानी विचार है 🙏

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