Wednesday, September 30, 2009

कोहरे के मानिंद हैं ज़िन्दगी …………………


धुंध धुंध सी हैं ज़िन्दगी , कोहरे के मानिंद हैं ज़िन्दगी.
थोडी दूर तक जाती हैं नज़र, फिर धुंध धुंध नज़र आती हैं ज़िन्दगी.


सोचो की अगर दिखता हमें सब कुछ बहुत आगे तक, कैसी होती यह ज़िन्दगी.
चाहे अच्छा हो या बुरा कल में, मगर हमें देखने नहीं देती ज़िन्दगी.


बस धुंध धुंध हैं ज़िन्दगी , कोहरे में समेटे लाखो सवाल , बस निकलती जाती हैं ज़िन्दगी.
जो पीछे छूट जाता हैं, उसको भी यादो के गलियारों में ड्ख लेती हैं ज़िन्दगी,


बस इसी तरह से सरकती जाती हैं ज़िन्दगी. सबकी बस यही कहानी हैं ऐ ! ज़िन्दगी.

Monday, September 28, 2009

Life is a race………………

Life is a race………
Everybody is running…………
Running faster and faster………….
Crossing miles and miles…………
There is no end……………………
When one comes to an end……….
Second took the torch to run……………..
Race is always on……..

Who will win the race…………?
This is a million dollar question?
Nobody wins the race ………………
Because the race is never come to end.

So,
Run till your last breath,
This is only in your hand.
Leave your firm footmarks on the way……..
Other will follow your way……….
This will pave the path to others………..
You can feel the satisfaction only this way….

Wednesday, September 23, 2009

कारवां जारी हैं ……..


आ जाओ अगर साथ चलना हैं, मिल कर सफ़र तय कर लेंगे,
ज़िन्दगी की इस सफ़र में, थोडी देर साथ चल लेंगे,
कुछ तुम अपनी कहना , कुछ तुम्हे हम सुनायेंगे ,
इस पथ के पथिक बन कर, फिर भले ही तुम साथ छोड़ देना,
मुझे तो चलना हैं ही, क्यूंकि मेरा कारवां जारी हैं !

Monday, September 21, 2009

मेरी बिटिया मुझे जीना सिखाती हैं.

ज़िन्दगी की इस दौड़ में मैं जीना भूल सा गया था ,

फिर मुझे खुदा ने बेटी का वरदान दे दिया ,

अब मेरी बिटिया मुझे जीना सिखाती हैं !

बार बार गिरकर उसका फिर से अपने को संभालना ,

फिर से उठने की जिद अपने खुद को खड़े करना ,

उठ के फिर से खुशियाँ मनाना, बिना बात के यु ही मुस्करा देना,

मेरी बिटिया मुझे जीना सिखाती हैं.

उसका वो बेपरवाह अठखेलिया करना, फिर उसका हर बात से बेखबर सोना,

सुबह सबसे पहले जग कर सबको अपने शोर से जगाना,

मेरी बिटिया मुझे जीना सिखाती हैं.

वो मेरा कभी उसको गुस्सा दिखाना, उसका उस गुस्से से रोना,

फिर थोडी देर मैं फिर से मुझसे चिपकना,

मेरी बिटिया मुझे जीना सिखाती हैं.

उसका हर चीज़ पर लपकना , हर चीज़ को टटोलना ,

किसी भी अजनबी से पहले तो डरना,

फिर प्यार से हसना,

मेरी बिटिया मुझे जीना सिखाती हैं.

Friday, September 18, 2009

न बिछुडे माँ से बच्चे …………..


उसका आँगन गूजता था बच्चों के शोर से , वो दोड़ती थी बच्चों के पीछे ,

शोर से आसमान गूजता था,
बच्चों के साथ उस माँ का वक़्त यु ही गुजरता था,

माँ सोचती थी कब बच्चे बड़े होंगे और उसके सपने भी पूरे होंगे,

सोचते सोचते बच्चे कब बड़े हुए, उसको भी पता ना चला.

सब निकल गए घर से एक दिन, उसका आँगन सूनसान हुआ.

आज वो संभालती है हर याद को , निहारती हैं अपनी दीवारों को,

हर जगह से उसके बच्चों की यादे जुडी पड़ी हैं.
वो आँखों से आँसू पीकर चुपचाप ज़माने से लड़ती हैं.

आती हैं कोई खबर दूर परदेश से, तो आसूँ छलका देती हैं,
रात को सोने से पहले , ना परेशां हो मेरे बच्चे , अपने बच्चों के बिछुडन का दर्द सहती हैं.
करती हैं कभी सवाल ज़िन्दगी से , फिर खामोश हो जाती हैं.

नियति को यही था मंजूर , पल्लू ढाके सो लेती हैं.
लगाती हैं जब हिसाब किताब ज़िन्दगी का, खोने का पलडा भारी पाती हैं.

हर रोज़ फिर आस में जीती हैं, काश कुछ ऐसा कर दे भगवान ,
किल्कारिया फिर सुना दे भगवान, भर दे फिर उसका आँगन,

अब जहाँ सूनेपन की आवाज़ भी सुनाई देती हैं.
वो बुडी माँ का दर्द ना जाने भगवान भी नहीं सुनता हैं,

वो पथराई आँखों से फिर भी हर जगह अपने बच्चों के निशान खोजती हैं.
बच्चे जब तक दर्द समझे , वो बिछुरन की आदी हो जाती हैं.

अब उसको कोई दर्द नहीं सालता , वो बैरागी हो जाती हैं.
मत करना भगवान किसी माँ को उसको बच्चों से दूर,ये सजा जीते जी मरने की हैं,

तेरा रूप हैं वो धरती पर , ये सजा मंजूर नहीं हैं.

Wednesday, September 16, 2009

आशा की लौ !

सूरज डूब रहा तो क्या, कल फिर किरणों का राज होगा.

आज पतझर हैं तो क्या, कल फिर कलियों में शबाब होगा.

आज तेरे साथ बुरा हुआ तो क्या, कल फिर तेरे पास ख्वाब होगा.

कल बूरा था तो क्या हुआ, आने वाले कल पर तेरा राज होगा.

कुछ नहीं तेरे पास तो क्या हुआ, तेरे होंसले का साथ होगा.

आज तेरी नहीं सुनती दुनिया तो क्या हुआ, कल तेरे पीछे सैलाब होगा.

कश्ती तेरी फँसी मझधार में तो क्या हुआ, पतवार तेरे हाथ होगा,

साथ तेरे छोड़ दे सारी दुनिया तो क्या हुआ, तेरा विश्वास तेरे साथ होगा.

न दे साथ किस्मत तेरी तो क्या हुआ, यही तेरा असली इम्तिहान होगा.

Monday, September 14, 2009

Kuch Pankitiya

खुशियों को समेट मुट्ठी में , दुखों को दूर भगा ,

रेत की तरह फिसल रही ज़िन्दगी को ,हर पल तू जिए जा.

आये कितने ही दुखो के पल, बस तू हसे जा,

ये इम्तिहान हैं तेरा ,बस तू हर हाल मैं जीए जा.

कर भरोसा खुद पे इतना,हिम्मत को अपनी ताकत बना .

कुवत हैं तुझमे दुनिया बदलने की, खुद को बस इतना समझा .

नहीं रुक सकते तेरे रास्ते , अपनी एक पहचान बना.

कर दुनिया को मुट्ठी में, बस तू अपनी धून में जिए जा.

आये कोई बाधा , हस के उसको गले लगा,

मुड़कर मत देख फिर,बस चले चले जा.

ये ज़िन्दगी एक बार मिली हैं, मत तू इसको गवा ,

ज़िन्दगी में एक राह चुन , बस चले चले जा.

लक्ष्य बना अपना कोई, उसकी धून में रम जा.

दुनिया चाहे कुछ भी कहे , अपने मन को मना .

सुन सबकी कर अपनी, अपनी मंजिल को पा.