तेरे लाल फिर निकल पड़े हैं लेकर हाथो मैं तिरंगा, कोई इंग्लैंड , कोई रसिया , कई पहुच गए अमेरिका ! बस एक ही मकसद हैं दिल में , वापस लाना हैं गौरव अपने देश का.
करने पड़े कितने ही जतन , विश्व पटल पर फिर छाना हैं
तुझे बीता हुआ कल मानने वालो का , फिर से मस्तक झुकाना हैं.
कुछ देर हुई और भटके भी हम , माँ !मगर तेरी मिटटी की ताकत ने फिर खड़ा कर दिया हमें माँ.
हम जहाँ भी रहे और जो भी करे , तेरे सम्मान की परवाह हैं माँ !
सबसे पहला तेरा हित , फिर और कोई बात करेंगे माँ.
जो भी डालेगा बुरी नज़र तुझ पर , १ अरब तेरे बच्चे दीवार बन खड़े हो जायेंगे,
प्यार से समझ गए तो ठीक , वर्ना चीर के रख देंगे , माँ.
अब चिंता की कोई बात नहीं , बच्चे तेरे बड़े हो गए माँ,
तेरी शान के खातिर अब सब, कफ़न बाँध के खड़े हो गए माँ !
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