" किस और हम चले थे ,
किस और आज पहुच गए.
जिंदगी के इस भूलभुलैया में न जाने कहाँ खो गए.
सोच कुछ बड़े होगे तो सपने पूरे होगे ,
बड़े हुए तो हज़ार और चिंतायों से दो चार हुए.
अब जीना सीख गए की,
जो मिल रहा उसी पर खुश रह लो ,
कल की ख़ुशी के इंतज़ार में, आज को न जाया करो,
ठीक हैं कुछ परेशानिया हैं आज, उनका भी हंसकर सामना करो.
ज़िन्दगी फिर मजे में कटेगी,और तुम्हारी हर इच्छा पूरी होगी. "
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