Tuesday, April 13, 2010

पहाड़ो की सैर ...... ( Let us Visit the Hills)

वो सामने हिमालय हैं, दूर दूर तक बिखरा नीला आसमान.

बादलो से अठखेलिया करते ऊँचे पर्वत, फल फूलो से लदे ये उपवन.

कल कल करती बहती नदिया और हरे भरे पेड़ो से भरे ये जंगल.

झरनों से बहता निर्मल पानी , अमृत जैसा इनका जल.

बहती ठंडी हवा देखो, करती मन को कितना शीतल.

बाहे खोले बुला रहा ये सुन्दर मंजर, बिना तुम्हारे ये सब बेकार.

माना की तुम बहुत व्यस्त हो, कुछ कमाने के चक्कर में मस्त हो.

फिर भी फुर्सत के कुछ पल तो निकालो , आकर मेरी गोद में खेलो.

फिर कहोगे " अगर स्वर्ग हैं धरती पर, तो हैं वो यही पर."

 
( यह कविता समप्रित हैं उन सब पहाड़ी निवासियों को जो रोज़ी रोटी के चक्कर में शहरो में बसे हैं और उन लोगो को जो पहाड़ो से प्रेम करते हैं )

2 comments:

  1. Impressed... sahi kaha dost... mein bhi unn logon mein se ek hun... jo sirf roti ke liye yahan hain...

    Himanshu
    www.bugshead.blogspot.com

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