" आज हिंदी दिवस हैं, "
सुबह जागते ही अपनी पत्नी को कहा ,
हैप्पी हिंदी दिवस.
थोड़ी देर में अपनी गलती का एहसास हो गया,
हिंदी दिवस पर भी हैप्पी हिंदी दिवस बोल गया.
हिंगलिश का ये कैसा असर हो गया हैं हम पर,
मात्र भाषा ही भूल गए हम सब.
हर आदमी चाहता हैं,
बस उसको अंग्रेजी आ जाये,
हिंदी तो लोकल लोग बोलते हैं,
हम इंग्लिश बन जाए.
इस सम्रद्ध भाषा के अब कम ही ज्ञानी रह गए हैं,
कुछ लोग अँगरेज़ और कुछ हिंगलिश हो गए हैं.
कितनी बड़ी बिडम्बना हैं,
अपनी राज्यभाषा को मनाने के लिए ,
हमें उसका दिवस मनाना पड़ रहा हैं.
मेरे जैसे कट्टर हिंदी समर्थक भी,
अब हिंगलिश बोलने में शान समझ रहे है.
हिंदी तड़प रही हैं अपने ही नौनिहालों के बर्ताव से,
धीरे धीरे दम तोड़ रही हैं हिंगलिश और इंग्लिश के प्रभाव से.
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ,
ReplyDeleteअच्छी पंक्तिया सृजित की है आपने ........
एक बार इसे जरुर पढ़े, आपको पसंद आएगा :-
(प्यारी सीता, मैं यहाँ खुश हूँ, आशा है तू भी ठीक होगी .....)
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_14.html
badhiya vyangya...our shandaar prastuti..
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