Monday, September 20, 2010

बिना बात के फासले .....

" कुछ ही दिन हुए तो उनसे हाल चाल न पूछे हुए,


बस फिर फासला बढता गया.

हम क्यों करे पहल ,

वो क्यूँ नहीं कर सकते !

दिन यू ही फिसलते चले गए.

कुछ भी न हुआ था दरम्यान,

बस दूरियों के फासले बढते चले गए.

कुछ भी हो, अपनों से बात करते रहिये,

कभी काम की तो कभी यु ही कर लीजिये,

दूरियां बिना बात की यु न बढेगी,

दुनिया में कभी भी अपनों की कमी न खलेगी. "

2 comments:

  1. सही कह रहे हैं…………………सुन्दर संदेश्।

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  2. आपने सही लिखा है यही बात आजकल हमारी जिंदगी में गुजर रही है,आपने तो मेरे दिल की बात लिख डाली, धन्यवाद, महेंद्र

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