Wednesday, September 26, 2012

एक सेल्समेन की कहानी, मेरी जुबानी .........

बॉस ने बुलाया उसको और कहा, 
" तुम्हारा ध्यान नहीं हैं काम पर आजकल , 
सब टार्गेट फेल हो रहे हैं . 
नए कस्टमर तुम जोड़ नहीं रहे हो, 
पुराने तुम्हारे से माल खरीद नहीं रहे हैं, 
तुम कर क्या रहो हो आजकल " 
उसने जवाब दिया , 
" पुराने कस्टमर तो इसलिए आर्डर नहीं दे रहे हैं क्यूंकि , 
पहले तो हम उनको टाइम पर माल नहीं देते 
और देते हैं तो क्वालिटी का हमारे कोई भरोसा नहीं होता , 
रही बात नए कस्टमर की, रोज़ नए नए कस्टमर के पास जाता हूँ, 
अपनी कंपनी का नाम लेता हूँ तो वो भड़क जाते हैं , 
स्कीमे चलाते हो - अपने प्रोडक्ट के साथ टेडी बीयर देते हो. 
रही बात टार्गेट की , आपने पूरी टीम का टार्गेट मेरे ऊपर लाद दिया हैं , 
पूरा हो गया तो आपकी जय जय कार होती हैं , 
इन्क्रीमेंट आपका बढ़िया होता हैं और मैं सिर्फ ताकता रहता हूँ. 
रही बात ध्यान की, वो मैं भी लगाना चाहता हूँ. 
मगर न आप लगाने देते हो और न घर वाले , 
आप एक काम को पूरा करने नहीं देते हो की , 
अगला पकड़ा देते हो , 
घर वाले कहते हैं नौकरी बदल ले , 
इतना काम के बदले तुझे देते क्या हैं  ? 
तेरे दोस्त तुझसे ज्यादा कमाते हैं ." 
रूआंसा सा होकर वो केबिन से निकला , 
थोडा संतोष था की जो बात इतने दिलो से कह नहीं पा रहा था, 
आज कम से कम बॉस को बता तो दी, 
पता हैं होना कुछ भी नहीं हैं , 
मगर अपने दिलोदिमाग से थोडा बोझ शिफ्ट तो हुआ. 
उधर बॉस भी सोच रहा था , 
कितनी सही बात कह गया वो, 
मेरी तो हालात उससे  बदतर हैं ,
वह अपनी भड़ास मुझ पे निकाल गया , 
अब मैं किस पे  निकालू , सोच रहा था.  

1 comment:

  1. आपके ब्लॉग की ताजा पोस्ट पढ़ी। अच्छी हैं। विजिट करें:
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