बात कहूँगा सीधी और सरल सी , न इधर की न उधर की !
न ऊपर की , न नीचे की ,
न दायें की , न बायें की ,
न उत्तर की , न दक्षिण की ,
न पूरब की , न पश्चिम की ,
न धर्म की , न कर्म की ,
न अमीरी की , न गरीबी की ,
न जात की , न पात की ,
न ज्ञान की , न अज्ञान की ,
न उत्थान की , न पतन की ,
न हार की , न जीत की ,
न युद्ध की , न शांति की ,
न मंदिर की , न मस्जिद की ,
न सिख की , न ईसाई की ,
न रोज़गार की , न बेरोजगारी की ,
न हँसी की , न रोने की ,
न आशा की , न निराशा की ,
न सहिन्षुणता की , न असहिन्षुणता की ,
न राजनीति की , न राजनीतिज्ञों की ,
न शिक्षा की , न अशिक्षा की ,
न तर्क की , न वितर्क की ,
न दिन की , न रात की ,
न सुबह की , न शाम की ,
न प्रकाश की , न अन्धकार की ,
न महंगाई की , न भ्रस्टाचार की ,
न बच्चो के भविष्य की , न महिलाओ की सुरक्षा की ,
न लाचार बुजुर्गो की , न दिशाहीन नौजवानो की ,
न संस्कार की , न कुसंस्कार की ,
न स्टार की , न सुपरस्टार की ,
न खेल की , न खिलाडी की ,
न समाज की , न विज्ञानं की ,
न बंगाल की , न आसाम की ,
न गुजरात की , न पंजाब की ,
न ऊँच की , न नीच की ,
न अगड़ो की , न पिछडो की ,
बस इतना सा कहूँगा की , कब फिक्र होगी हमें अपने भारत माँ की ?!!
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