माथे पर चिंताओं की लकीरें क्यों है ?
चेहरे पर ये मायूसी सी क्यों है ?
खोया खोया सा हर शख्स यहाँ ,
बेचैनी का तूफ़ान लिए क्यों है?
आज़ादी की तमन्ना लिए दिल में ,
हर सांस में घुटन में क्यों है ?
खुद अपनी राह बनाने निकला ,
भीड़ में शामिल क्यों है ?
सीने में तूफानों से जज्बात ,
सहमा सहमा सा क्यों है ?
रिश्तो में पला बढ़ा ,
रिश्तो से अब चिढ़ क्यों है ?
उसूलो की ताकत ,
हकीकत के धरातल पर तड़पती क्यों है ?
घिरा हुआ है भीड़ से ,
फिर भी अकेला क्यों है ?
कुछ पाने की ख़ुशी नहीं ,
सब कुछ पा लेने की ज़िद्द क्यों है ?
अपनी पहचान बनाने चला था ,
दुसरो के अक्स में अपने को तलाशता क्यों है ?
मेहनत ही सफलता की कुंजी ,
परिश्रम से घबराता क्यों है ?
धैर्य और संयम का पाठ ,
हर मोड़ पर भूलता क्यों है ?
कशमकश ये कैसी ,
रातो की नींद गायब क्यों है ?
खिलखिलाता चेहरा जिसकी पहचान ,
हर हँसी में दर्द छलकता क्यों है ?
कुछ तो बदली है आबो हवा ,
कुछ पानी में जहर है ,
घुट घुट कर सिसक रही ज़िन्दगी ,
ज़िन्दगी को शायद कुछ सुकून की जरुरत है।
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