Friday, June 22, 2018

परवाज

पंखो को परवाज दिए जमाने हो गए , 
जमाने के आगे बेबस से हो गए , 
क्यों नादानियाँ करने से घबराता है अब दिल , 
क्या अब हम बहुत " सयाने " हो गए।  

दर्द अब भी उठता है सीने में , 
आँसू बहाये जमाने हो गए , 
जबरदस्ती की मुस्कराहट को ख़ुशी मत समझ , 
बेबाक हँसी को होंठ तरस गए ।  

खुद को इतना रमा दिया जगत में , 
अपना वजूद भूल गए , 
ताकते रहते है अब दुसरो का मुँह अब , 
उनके हिसाब से मनोदशा तय होने लगे।  

तेरे जीवन का संघर्ष , 
कौन तुझसे बेहतर जानता है यहाँ , 
अपने दिल से पूछ , 
यहाँ तक पहुँचने में लोगो को जमाने लग गए।

तेरे सपने तेरे अपने है , 
तेरे जूनून को दुनिया क्यों समझे ,
कदम बढ़ाने ही होंगे , 
बिना मेहनत के कहाँ , किसके सपने सच हुए।  

1 comment:

  1. अतिसुन्दर पंतिया खूबसूरत सर।

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