बिगुल बज गया चुनावी ,
जनता दरबार में ,
अब आयी नेताओ की बारी।
सिंहासन खाली है दिल्ली का ,
तिकड़म सब भिड़ा रहे ,
ललचाई नजरे है सारी।
लोकतंत्र का महापर्व ,
कुछ दिनों के लिए ही सही ,
जनता जनार्दन नेताओ पर भारी।
जनता सचेत हो जाओ ,
इसी वोट पर टिकी है ,
अगले पांच साल की किस्मत हमारी।
सोचो , विचारो
यूँ ही वोट जाया न करना ,
छोटी सी चूक -पड़ती है बहुत भारी।
लोकतंत्र का महापर्व ,
"दिल्ली "सिंहासन सौंपने
की तैयारी ,
सुनिश्चित करे अपनी भागीदारी।
जनता से -जनता द्वारा ,
जनता के लिए ,
" अच्छी सरकार " चुने - ये हम सबकी जिम्मेदारी।
फोटो साभार - गूगल
बिल्कुल सही बात है। पाँच साल मेन एक बार आने वाला लोकतंत्र का ये महान पर्व। सभी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें व “अच्छी सरकार” को चुनें।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा भाई..🙏
Hamari kismat nhi politicians ki kismat kaho...humne toh wese hi jeena hai
ReplyDeleteअरै वाह, सुंदर अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteवैसे जनता तो हमेशा ही बेचारी रहने वाली है इन मदारियों के बीच ...