बरसे फाग के रंग ऐसे ,
तन मन तर हो जाए ,
मन का मैल सब ,
पानी में बह जाए ।
लाल रंग गुस्सा ले जाये ,
काला रंग दुखो के साथ बह जाए ,
रंग चढ़े अंतर्मन पर ऐसा ,
जीवन रंगमय हो जाए ।
बरसे और जोर से बरसे ,
फाग के रंग सब बिखर जाए ,
हर चेहरा ऐसा रँगे ,
सब भेद मिट जाए ।
काले से सफ़ेद मिले ,
लाल से हरा मिल जाए ,
बने एक ऐसा रंग फिर ,
सब बासन्ती हो जाए।
आयी है होली फिर से ,
रंगो का फाग हो जाए ,
जब धुले सबके चेहरे ,
सब नकाब हट जाए।
फोटो साभार - गूगल
बने एक ऐसा रंग फिर ,
ReplyDeleteसब बासन्ती हो जाए।