Friday, April 26, 2019

नन्ही चिड़िया



नन्ही चिड़िया ढूंढ रही , 
कहीं तो मिले उसे छाँव , 
पेड़ो की डालियाँ कट गयी , 
बेचारी अब कहाँ जाय।  

पोखर , तालाब 
नदी ,  नाले सब सुख गए , 
कहाँ तक अब पंख फड़फड़ाय , 
बेरहम सूरज कुछ तो तरस खा , 
अब ये नन्ही चिड़िया कहाँ जाये। 

आग बरसा रही किरणे , 
धरती बन रही शोला , 
घर के मुंडेर रहे नहीं अब , 
कहाँ अब अपना घौंसला बनाये , 
अब ये नन्ही चिड़िया कहाँ जाये।

उड़ने से पहले सोचे , 
कहीं कोई डाल मिल जाये , 
दूर तक फैला बंजर , 
इस तपती गर्मी में , 
नन्हे पँख झुलस जाय, 
अब ये नन्ही चिड़िया कहाँ जाये।

किससे अपना दर्द कहें , 
कुछ समझ न आये , 
मृगतृष्णा सी प्यास उसकी , 
दूर दूर भटकाये ,
अब ये नन्ही चिड़िया कहाँ जाये।

बनाओ तुम अट्टालिकाएं , 
करो प्रकृति से खिलवाड़ , 
वृक्ष न बचेंगे धरा पर गर तो , 
तुम्हारा भी होगा ऐसा ही हाल , 
सोचो और बताओ , 
अब ये नन्ही चिड़िया कहाँ जाये।

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