शनैः शनैः ,
हम धैर्य खो रहे है ,
हम संयम खो रहे है ,
हम विश्वास खो रहे है ,
हम आस खो हो रहे है।
शनैः शनैः ,
हम ईश्वर को भूल रहे है ,
हम रिश्ते भूल रहे है ,
हम मानवता भूल रहे है ,
हम करुणा , दया भूल रहे है।
सच ये भी है ,
धरती पर मानव सभ्यता ,
इन्ही गुणों से शताब्दियों तक ,
बची रही है।
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