Thursday, June 5, 2025

पहाड़

आधे  से अधिक पहाड़ , 

पहले ही मैदानों में पहुँच चुका है , 

जो आधा बचा था गाँवों में , 

उसमे भी तीन चौथाई अब , 

सड़क किनारे बस चुका है , 

बचा एक चौथाई त्रस्त है , 

बन्दर , लंगूरो , सूअरों के आतंक से , 

गाँव के जीर्ण घरो के आँगन में , 

सिसूण जम चुका है , 

और जंगलों में चीड़ सिर उठा रहा है , 

जंगलो के रास्ते गुम हो चुके है , 

इन सबमे जंगल में , 

फिर से आ चुके है बाघ, 

गाँव अब गाँव नहीं रह गए , 

सड़क दूर गाँव अब सब , 

फिर से जंगल होने के कगार पर है।   

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