बारिश होती है खूब ,
पहाड़ों में ऊँचे ऊँचे डानो में ,
पानी सब इकठ्ठा होता है ,
गधेरों में , और गधेरे ,
सब मिल जाते है नदी में ,
एक मरियल सी सर्पीली नदी ,
जिसे कल तक यूँ ही फाँक मार कर ,
पार कर जाते थे बच्चे भी ,
अचानक से चौमास में ,
वार -पार फ़ैल जाती है ,
और पानी का सौट ,
इतना तेज ,
बड़े बड़े गंगलोड़ ,
सब बहा ले जाती है ,
इन गंगलोड़ो को ,
लुढ़का लुढ़का कर पीस देती है ,
और किनारे लगा देती है ,
बजरी बनाकर ,
अपना छीना -छिनाया क्षेत्र ,
सब वापस लेकर अतिक्रमण से ,
फिर एकदम शांत हो जाती है ,
चौमास के बाद नदी ,
फिर से पतली , सूखी धार ,
बन जाती है ,
अगले चौमास तक।
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