उमड़ घुमड़ मेघों का आच्छादन,
नीले अम्बर पर जैसे श्वेतावरण ,
अठखेलियाँ खेलते संग समीरण ,
कोहरे से धुऑं -धुआँ वातावरण।
कोई श्वेत वर्ण, कोई श्यामवर्ण ,
करते जोर -शोर से गर्जन ,
तरुवर सब निहारे नभ को ,
बूँदो से फिर दृश्य धरा विहँगम।
रोम - रोम पुलकित धरा का ,
हरा -भरा चहुँओर आवरण ,
पपीहे -मयूरा सब नाचे पँख फैला ,
झूम -झूम बरसे जब सावन।
पुलकित रज का कण -कण ,
बूँदो की छुअन अप्रतिम ,
खिले हुए से तन -मन सारे ,
बरसे जब भी पीयूष सावन।
Superb
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