हम सब आजकल ,
बहुत जल्दी में है ,
घर में ,
दफ्तर में ,
सड़क में ,
काम में ,
और यही जल्दी ,
हमारा धैर्य ,
खा रही है ,
हम उग्र हो रहे है ,
व्यग्र हो रहे है ,
और खो रहे है ,
मन की शांति ,
सुकून ,
और क्षय हो रहा है ,
हमारे शरीर का ,
हमारे मस्तिष्क का,
ये जल्दी ,
धीरे -धीरे ,
घुन की भाँति ,
चट कर रही है ,
जीवन को।
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