Friday, August 22, 2025

अंतिम धुन

 



संदेशा पहुँचा राज दरबार ,

मिलना चाहती है राधा अंतिम बार ,

द्वारकादीश भागे छोड़ सब काम ,

पहुँचे जहाँ राधा कर रही थी अंतिम विश्राम ,

"बजा दो कान्हा , फिर वही धुन ,

अब गहरी नींद सोना चाहती हूँ ,

विरह में बीती सारी ज़िन्दगी ,

वो धुन फिर सुनना चाहती हूँ। "

राधा रानी के अंतिम शब्द ,

सुन कृष्ण मुस्कराये ,

पकड़ी फिर से बाँसुरी ,

जिसे त्याग आये थे वृंदावन धाम ,

अंतिम बार अधरों से ,

बाँसुरी से धुन छेड़ी ,

राधा पहुँच गयी कानन में ,

हौले से मुस्कराई ,

कुँज की गलियों में भागी ,

गोपियों संग अठखेली,

कान्हा को देख सुधबुध खोई ,

दी माखन की डली  ,

धीरे -धीरे आँखे बंद हुई ,

दिव्य तेज शरीर से निकला ,

उर में समा गई बाँसुरी बजैया,

तोड़ दी बाँसुरी ,

अंतिम बार निहारा ,

राधे अमर रहेगा प्रेम तुम्हारा ,

कैसा आलौकिक  प्रेम था ये ,

राधे -राधे हुआ जग सारा।

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