भविष्य का सोच आज परेशान है ,
वर्तमान पिछली बातें सोच हैरान है ,
कहाँ है "अभी" वक्त जो हाथ में है ,
दो कल के बीच में फँसा पड़ा हैं।
सबब ये है ध्यान बीती बातों में ,
चिंता आने वाले वक्त की सदा ,
मजा ले सकते है अभी में ,
वक्त का भी यही है तकाज़ा।
बीता वक्त अब लौट नहीं सकता ,
आने वाले वक्त का बस कयास ही सही ,
तन -मन लगा अभी पर बस "आनन्द " ,
यही सुलझायेगा कड़ियाँ सभी।
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