Friday, September 5, 2025

कल -आज -कल

  

भविष्य का सोच आज परेशान है ,

वर्तमान पिछली बातें सोच हैरान है ,

कहाँ है "अभी" वक्त जो हाथ में है ,

दो कल के बीच में फँसा पड़ा हैं। 

 

सबब ये है ध्यान बीती बातों में ,

चिंता आने वाले वक्त की सदा ,

मजा ले सकते है अभी में ,

वक्त का भी यही है तकाज़ा। 

 

बीता वक्त अब लौट नहीं सकता ,

आने वाले वक्त का बस कयास ही सही ,

तन -मन लगा अभी पर बस "आनन्द " ,

यही सुलझायेगा  कड़ियाँ  सभी। 

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