Monday, September 8, 2025

सुनो ज़िन्दगी

सुनो ज़िन्दगी , 

एक बात करनी है , 

इक मुद्दा सुलझाना है , 

मुद्दा ये है , 

जिस गति से तुम भाग रही हो , 

वह गति मुझे मंजूर नहीं है , 

तुम्हारा क्या है ? 

समय के साथ क्यों दौड़ लगा रही हो , 

थोड़ा आराम आराम से चलो , 

मेरी ख्वाइशें हर मील के पत्थर पर , 

अभी भी अधूरी है ,

और याद रखना , 

तुम भी फिर अधूरी ही रह जाओगी, 

कम से कम एक ज़िन्दगी में।    

1 comment:

  1. Truth of life , tham jaye to gutter ban jaye bahta rahe to pavitra Gangajal

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