सुनो ज़िन्दगी ,
एक बात करनी है ,
इक मुद्दा सुलझाना है ,
मुद्दा ये है ,
जिस गति से तुम भाग रही हो ,
वह गति मुझे मंजूर नहीं है ,
तुम्हारा क्या है ?
समय के साथ क्यों दौड़ लगा रही हो ,
थोड़ा आराम आराम से चलो ,
मेरी ख्वाइशें हर मील के पत्थर पर ,
अभी भी अधूरी है ,
और याद रखना ,
तुम भी फिर अधूरी ही रह जाओगी,
कम से कम एक ज़िन्दगी में।
Truth of life , tham jaye to gutter ban jaye bahta rahe to pavitra Gangajal
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