Friday, September 12, 2025

ज़ेन -जी

 

अलग़ नहीं है ये हमसे ,

मगर तेवर थोड़ा जुदा है ,

कसूर इनका नहीं है ,

वक्त ही अब इनका है।

 

जोशोजुनूं से लबरेज ,

खून नया नया है ,

आंधी , तूफ़ान से नहीं डरने वाले ,

हवाओं का रुख मोड़ने वाले है।

 

तकनीक हाथों की कठपुतली ,

पहुँच में सारा जहान है ,

माकूल हवाओं का इन्तजार क्यों ,

आज ही समाधान है।

 

ये कल का आधार है ,

आज की कीमत जानते है ,

लगे भले ही थोड़े विद्रोही से ,

ये जंजीरें तोड़ना जानते हैं।

 

व्यावहारिकता इनके नस नस में ,

किताबी बातें सिर्फ ढकोसला है ,

वक्त बदला है , दौर बदला है ,

अपना हक़ सब जानते है।

 

बहुत आग है ,

तूफ़ान है इनके अंदर ,

मिल गया सही रास्ता ,

बदल सकते है ये सारा मंजर।

 

चिंता बस इक बात की है ,

किसी की कठपुतली मत बनना ,

सक्षम हो तुम सब मिलकर ही ,

आवाज हक़ में बुलंद रखना।

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