अलग़ नहीं है ये हमसे ,
मगर तेवर थोड़ा जुदा है ,
कसूर इनका नहीं है ,
वक्त ही अब इनका है।
जोशोजुनूं से लबरेज ,
खून नया नया है ,
आंधी , तूफ़ान से नहीं डरने वाले ,
हवाओं का रुख मोड़ने वाले है।
तकनीक हाथों की कठपुतली ,
पहुँच में सारा जहान है ,
माकूल हवाओं का इन्तजार क्यों ,
आज ही समाधान है।
ये कल का आधार है ,
आज की कीमत जानते है ,
लगे भले ही थोड़े विद्रोही से ,
ये जंजीरें तोड़ना जानते हैं।
व्यावहारिकता इनके नस नस में ,
किताबी बातें सिर्फ ढकोसला है ,
वक्त बदला है , दौर बदला है ,
अपना हक़ सब जानते है।
बहुत आग है ,
तूफ़ान है इनके अंदर ,
मिल गया सही रास्ता ,
बदल सकते है ये सारा मंजर।
चिंता बस इक बात की है ,
किसी की कठपुतली मत बनना ,
सक्षम हो तुम सब मिलकर ही ,
आवाज हक़ में बुलंद रखना।
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