Thursday, September 18, 2025

छलावा

शनैः शनैः हम इक ,

छलावे की दुनिया ,

असली समझ , 

गिरफ्त में आ रहे है , 

इस दुनिया का कोई , 

सिर पैर नहीं है , 

सब आभाषी , 

सब छदम , 

इसी दुनिया को अब , 

नई दुनिया समझ रहे है।  


डर इस बात का है सिर्फ , 

छदम या आभाषी दुनिया की , 

उम्र लंबी नहीं होती है , 

फिर जब टूटेगा भ्रम , 

तब तक शायद बहुत देर , 

हो चुकी होगी , 

और शायद इक पीढ़ी , 

भ्रम में ही खप चुकी होगी, 

नई पीढ़ी को फिर , 

सिफ़र से शुरुवात करनी होगी।  

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