कुछ यादों की गठरी बांधे ! कुछ कल के सपनो की पोटली !!
जीता हूँ आज को मैं इस तरह ! करते कुछ हँसी ठिठोली !!
जब उदास होता हूँ कभी ! खोल लेता हूँ अपनी गठरी !!
आँखों की कोरे गीली होती हैं ! मन के बोझ थोड़ा हलके !!
फिर चल पड़ता हूँ अपनी राह में ! कभी तेज और कभी हल्के -हल्के !!
कही कही उजाला मिलता हैं ! और कही कही घने अँधेरे !!
विश्वास खुद पर रखकर ! कटते रहते हैं रात -दिन -सवेरे !!
कभी कोई साथ हो लेता हैं ! कहीं कहीं मैं किसी के पीछे !!
कुछ यादों की गठरी बांधे ! कुछ कल के सपनो की पोटली !!
जीता हूँ आज को मैं इस तरह ! करते कुछ हँसी ठिठोली !!
कुछ सीखता हूँ और कुछ सिखाते चलते ! कटते रहते हैं रात -दिन -सवेरे !!
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