ज़िन्दगी की पाठशाला का मैं एक मामूली सा छात्र हूँ ! रोज़ नए सबक सीखता हूँ !!
कभी भीड़ का हिस्सा बनकर सीखता हूँ ! और कभी कुदरत को निहारते हुए एकांत में सोचता हूँ !!
कुछ दिन ज़िन्दगी को यूँ ही बहने दिया ! न कोई प्लान बनाया , न कोई शिकायत की !!
ज़िन्दगी ने भी अपने होने का बहुत एहसास कराया , कभी फूल पत्तो में खिली तो कभी तितलियों में मुस्कराई !!
कभी बारिश की बूंदो ने भिगोया ! कभी सूरज की तपिश का अंदाजा किया !!
कभी थोड़ा फिर से बचपन जिया ! और कभी कुछ बुजुर्गो के साथ हो लिया !!
कभी प्रकृति को बड़ी देर तक निहारा ! कभी डूबते सूरज को अलविदा किया !
उगते सूरज की किरणों का स्वाद लिया ! तो कभी बहते पानी में थोड़ा गोता लगाया !!
लगा जैसे ये सब कुछ कही खो सा गया था ! काम की व्यस्तता से कुछ छूट सा गया था !!
दिल - दिमाग -शरीर में जैसे नयी स्फूर्ति सी आ गयी ! जीवन को फिर से दूने उत्साह से जीने की हिम्मत आ गयी !!
कभी यूँ ही फुर्सत निकालिये अपनी व्यस्त ज़िन्दगी से ! ज़िन्दगी को थोड़ा करीब से देखिये !!
ज़िन्दगी फिर से खूबसूरत दिखने लगेगी ! और खुद के लिए कुछ और मायने देखिये !!
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