Tuesday, June 23, 2015

फुर्सत के कुछ पल …

कुछ  दिन  एकांत में  बिताने का  मौका  मिला , अपने शहर से बहुत दूर !
कुछ क्षण अपने को फिर से समझने का मौका मिला , आदी हो चुके अपने माहौल से बहुत दूर !!

अपने को प्रकृति के  बहुत करीब पाया , ठंडी   हवाओ को अपने गाल  सहलाते फिर से महसूस किया !
बदन में हुई थिरकन को बरसो  बाद फिर महसूस कियाचिड़ियों की चहचाहट का संगीत सुना !!

बनावटी कोलाहल से  दूर - प्रकृति के  संगीत का आनंद लिया , मन जैसे फिर से रम गया !
कंक्रीट के  महलो  के सभ्य इंसानो से इस छोटी  सी जगह के  इंसानो को  जीवन जीते जीते देखा !!

सच में कितनी मशीनी और  व्यवसायिक  हो गयी हैं ज़िन्दगी हमारी , थोड़ा सुकून जब मिला तब सोचा !
कहता तो हूँ सब अपने लिए ही तो कर रहा हूँ , वोअपने लिए वाला समयकब मिलेगा कभी नहीं सोचा !!

टटोला दिल को अपने कुछ फुर्सत के क्षणों में , बहुत कुछ बीत जाने और खो जाने का एहसास हुआ !
फिर भी ढाँढ़स इस बात का बँधा  की ,  वक्त ने फिर मुझे समझने का मौका दिया !!

उसी पुराने "आनन्द " से फिर अपना परिचय हुआ ! खो गया था भीड़ में कही , अपने को भूल गया था !!
रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में मैं कितना उलझ गया था ! यकीनन वो भी बहुत जरुरी था !!

मगर अपने वजूद को भूल जाना कहा तक सही था , जारी हैं मेरा ये कारवां !
जीवन को समझने का दौर कभी तो विराम लेगा !!


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