उने रे , साल मी एक बार
खोल दिए आपुण घरे द्वार,
बाँझ झन पड़िए दिए ,
जरूर अये साल मी एक बार।
खौ मी अब सिसूण जाम गो ,
भेतर हेगी चौबाट ,
पाखेक पाथर चोर ही ल गो ,
बल्लियों में पड़ गे दरार।
त्यर निशाणी उसकये छीन ,
करनि रोज़ त्यर इंतजार ,
फल - फूलो बोठो में बानर भे गी ,
लुके री मीन त्यर लीजी अनार।
तु , जा ल छ , खूब तरक्की करिये ,
आपुण गौ -गाड़ नाम रोशन करिये ,
बस एक विनती छू ,
आपुण गौ- गाड़ झन भूलिए।
उने रे ईज़ा , साल मी एक बार
खोल दिए आपुण घरे द्वार,
बाँझ झन पड़िए दिए ,
जरूर अये साल मी एक बार।