कुछ अलग आबो हवा है ,
इस दौर की ,
हर कोई मशरूफ है।
लद गए वो दिन ,
बेतकल्लुफ़ी के ,
कदम कदम पर अब नजर हैं।
बेफिजूल चीजों के लिए,
वक्त ही वक्त है,
काम की चीजों के लिए वक्त कम है।
ज्ञान बाँट रहे प्रपंची ,
विद्यवानो की पूछ ,
जरा कम है।
सियासतदारो को खबर है ,
उछालते रहो ऊलजलूल मुद्दे ,
जनता जनार्दन की याददाश्त जरा कम है।
युवा देश का भविष्य है ,
उसे इस बात की कहा खबर है ,
ऑनलाइन दुनिया में व्यस्त है।
तू डाल डाल ,
मैं पात पात ,
कि अजब, आजकल लड़ाई है।
Such a great pahadi person, great writer.
ReplyDeleteNice
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