मुकद्दर जागेगा इक दिन ,
मैं मेहनत से क्यों हार मानू।
मंज़िल मिलेगी इक दिन ,
मैं रोज़ सीढ़ियाँ तो चढ़ूँ।
समय बदलेगा जरूर इक दिन ,
मैं समय की इज्जत तो करूँ।
सफलता - असफलता तो परिणाम है कर्मो का ,
चलने से पहले ही इन सबसे क्यों डरूँ।
कर्मो पर ही मेरा नियंत्रण है ,
सिर्फ किस्मत के सहारे ही क्यों बैठूँ।
जीवन सिर्फ सेज नहीं फूलो की ,
काँटों से फिर क्यों डरूँ।
प्रारब्ध जो भी होगा मेरा ,
मैं उस खुदा पर भरोसा तो रखूँ।
मैं मेहनत से क्यों हार मानू।
मंज़िल मिलेगी इक दिन ,
मैं रोज़ सीढ़ियाँ तो चढ़ूँ।
समय बदलेगा जरूर इक दिन ,
मैं समय की इज्जत तो करूँ।
सफलता - असफलता तो परिणाम है कर्मो का ,
चलने से पहले ही इन सबसे क्यों डरूँ।
कर्मो पर ही मेरा नियंत्रण है ,
सिर्फ किस्मत के सहारे ही क्यों बैठूँ।
जीवन सिर्फ सेज नहीं फूलो की ,
काँटों से फिर क्यों डरूँ।
प्रारब्ध जो भी होगा मेरा ,
मैं उस खुदा पर भरोसा तो रखूँ।
बस कर्म करते रहो फल ऊपर वाले पर छोड़ दो
ReplyDeleteबहुत अच्छी सीख
बहुत खूब आनंद। लिखते रहे सीखते रहे।
ReplyDeleteबहुत खूब आनंद। लिखते रहे सीखते रहे।
ReplyDeleteSarkar yeh tou Pura Ka Pura humsey prerit hai. Muqadar wah Rey muqadar
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