मैं पहाड़ी हूँ - पहाड़ो से आया हूँ,
साथ अपने न जाने कितनी सौगातें लाया हूँ।
तरसते है जब लोग हवा को ,
मैं ठंडी हवायें लाया हूँ।
आर ओ का पानी पीने वालो ,
मैं बहती नदियाँ का पानी पीकर आया हूँ।
रिश्तो को जब भूल रहे लोग ,
मैं - ईज़ा , बौज्यू , दद्दा , भूलि साथ लाया हूँ।
जाते होंगे तुम लोग जिम में फिट रहने के लिए ,
मैं तो अपने पहाड़ घूम आया हूँ।
बंद कमरे में ए सी की हवा खाने वालो ,
मैं खुले आसमान के नीचे ठंडी हवा पाया हूँ।
मैं पहाड़ी हूँ , पहाड़ो से आया हूँ ,
जिगर में अपने पहाड़ो की हिम्मत लाया हूँ।
दिखता भले ही सीधा सादा हूँ ,
संघर्ष की दास्तान लाया हूँ।
जब तक शान्त हूँ , ठीक है ,
बिगड़ गया तो , तूफ़ान लाया हूँ।
तुलना मत करना - याद रखना ,
तरकश में अपने सारे तीर लाया हूँ।
कही भी रहूँ दुनिया में ,
यादो की गठरी साथ लाया हूँ।
ताल ठोक कर कहता हूँ ,
मैं पहाड़ी हूँ।
जिस उच्चाई की तुम बात करते हो ,
वो मैं , कब का चढ़ आया हूँ।
वा सर जी वा क्या लिखा है आप ने शानदार लाईने । हमे गर्व पहाड़ी होने का...।
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ReplyDeleteकही भी रहूँ दुनिया में ,
यादो की गठरी साथ लाया हूँ।
ताल ठोक कर कहता हूँ ,
मैं पहाड़ी हूँ।
जिस उच्चाई की तुम बात करते हो ,
वो मैं , कब का चढ़ आया हूँ।
.. बहुत सही। .
नाल जब पहाड़ में गड़ी हो तो पहाड़ी होने पर गर्व की अनुभूति होना लाजमी है