हर तरफ बाजार लगा है ,
हर कोई कुछ न कुछ बेच रहा है।
दुविधा में है खरीददार ,
हर बार अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है।
दिमाग हर बार ये कहता है ,
भरोसा मत कर अब किसी पर ,
मगर दिल के आगे ,
किसी का क्या जोर चलता है।
गलती के बाद ,
फिर पछताना , रोना -धोना ,
दिमाग की न सुन ,
दिल फिर नए रोज़ बाजार होता है।
बहुत ही शानदार लाईने और प्रेरणादायी ।
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