Monday, December 4, 2017

बुजुर्ग

ये जो घर के बड़े - बूढ़े है , 
ये भी पहले हमारे जैसे ही थे , 
इन्होने भी बचपन देखा , 
और फिर जवानी का दौर , 

ऐसा नहीं हैं ये कुछ जानते नहीं है , 
ये वो सब जानते है , 
शायद इसीलिये बोलते है , 
जो हमारी किताबो में कभी लिखा ही नहीं।  

ज़िन्दगी का तजुर्बा लिए बैठे है , 
बरगद का पेड़ है , 
जो हर मौसम और समय को ,
सलीके से जी आये है, 
हमारी तरह थोड़ी परेशानी में , 
कराहते नहीं।  

अब इन्हे कुछ नहीं चाहिए , 
चाहिए तो थोड़ा इज्जत और सम्मान , 
बदले में ये आपको दे सकते है , 
वो तजुर्बा जो शायद कही लिखा ही नहीं।  

आज हम जो भी है , 
इनके आशीष के बगैर कुछ भी नहीं , 
जीवन का उत्तरार्ध है , 
एक दिन हमें भी होना हैं यहीं।  


1 comment:

  1. Anand just,You really touch the inner part of the body which is Heart.....I am a very big fan. No no..your AC....I read your all creations and also follow it in my life. Thanks for guiding us so clearly..plz keep us guiding...Namsakar aur Dhanyewaad

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