ये जो घर के बड़े - बूढ़े है ,
ये भी पहले हमारे जैसे ही थे ,
इन्होने भी बचपन देखा ,
और फिर जवानी का दौर ,
ऐसा नहीं हैं ये कुछ जानते नहीं है ,
ये वो सब जानते है ,
शायद इसीलिये बोलते है ,
जो हमारी किताबो में कभी लिखा ही नहीं।
ज़िन्दगी का तजुर्बा लिए बैठे है ,
बरगद का पेड़ है ,
जो हर मौसम और समय को ,
सलीके से जी आये है,
हमारी तरह थोड़ी परेशानी में ,
कराहते नहीं।
अब इन्हे कुछ नहीं चाहिए ,
चाहिए तो थोड़ा इज्जत और सम्मान ,
बदले में ये आपको दे सकते है ,
वो तजुर्बा जो शायद कही लिखा ही नहीं।
आज हम जो भी है ,
इनके आशीष के बगैर कुछ भी नहीं ,
जीवन का उत्तरार्ध है ,
एक दिन हमें भी होना हैं यहीं।
Anand just,You really touch the inner part of the body which is Heart.....I am a very big fan. No no..your AC....I read your all creations and also follow it in my life. Thanks for guiding us so clearly..plz keep us guiding...Namsakar aur Dhanyewaad
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