गुजर रही थी ज़िन्दगी सुकून से,
ख्वाईशो ने लफड़े कर दिए ,
उम्र गुजरती रही ,
और ये बढ़ते रहे।
न मिला फिर चैन-ओ -सुकून ,
बस भागते रहे ,
इस भागमभाग में ,
दिन बीतते रहे।
दिल ने कई बार टोका ,
दिमाग ने हामी न भरी ,
दोनों की कश्मकश में ,
हम पीसते रह गए।
कुछ अदद जरूरते ही तो थी हमारी ,
उनसे ऊपर ऐशो आराम जुटाने में लग गए ,
लगी ऐसी लत की ,
ऐश और आराम दोनों भूल गए।
ज़िन्दगी गाहे बगाहे चेताती रही ,
हम अनुसना कर आगे बढ़ते रहे ,
अच्छे "कल " के इन्तजार में ,
हम "आज " को खोते रहे।
सुकून की तलाश में शुरू किया था जो सफर ,
तनाव में हर वक्त रहने लगे ,
एक किनारे से चले थे हम ,
दूसरे किनारे पर न जाने कैसे पहुँच गए।
Superb...
ReplyDelete👍👍👍👍
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteSuperb lines
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