ज़िन्दगी वादा है तुझसे ,
ऐसा जियूँगा तुझे ,
की तू भी रश्क करेगी ,
जिस हाल में भी रखेगी तू ,
हर हाल में मुस्कराता मिलूँगा मैं।
ले ले इम्तेहान कई ,
गुरेज नहीं अब कोई भी ,
एक ही धागे से लिपटे है हम दोनों ,
तेरी उठापटक से अनजान नहीं हूँ ,
बस तेरा मंतव्य समझने लगा हूँ मैं।
मुझे तेरी जरुरत ,
तू भी मुझबिन अधूरी सी ,
चल " मैं " से "हम " हो जाते है ,
समाहित हो जाते है इस कदर ,
न तू कभी अलग दिखे और न मैं।
Nice lines Sir
ReplyDeleteNice line.
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