किसी को देखने की चाहत दिल में मचलने लगे ,
यूँ ही अचानक से मुस्कराहट होंठो पर तैरने लगे ,
आँखे उनके दीदार को तरसने लगे ,
इश्क चक्रव्यूह के पहले द्वार पर आप दस्तक देने लगे।
उनसे मिलने को जब दिल करने लगे ,
बातें उनकी जब मीठी लगे ,
आँखों में अब उनकी तस्वीर दिखने लगे ,
चक्रव्यूह के दूसरे दरवाजे तक आप पहुँचने लगे ।
दिल में जब हरारत होने लगे ,
बिना बात किये दिल न भरे ,
रात को नींद कम , सपने ज्यादा आने लगे ,
इश्क चक्रव्यूह का तीसरा दरवाजा भी आप भेद गए।
हर पल उनका साथ जब भाने लगे ,
उनके बगैर अब ज़िन्दगी बेमानी लगे ,
राते खयालो में गुजरने लगे ,
चौथा दरवाजा भी इश्क का आप तोड़ चले।
न दिन को सुकून , न रात को चैन मिले ,
हर वक्त उनका ही ख्याल रहे ,
भीड़ में भी उनका ही चेहरा ढूंढने लगे ,
पाँचवा दरवाजा खुद ब खुद खुलने लगे ।
उनका हर सपना जब अपना लगे ,
प्यार भरे नग्मे अब खुद की कहानी कहने लगे ,
उनके आंसुओ से खुद की आँखों की कोरे गीली होने लगे ,
समझिये , इश्क के अंतिम पायदान पर आप पहुँच गए।
जब ज़िन्दगी में उनके बिना कुछ भी न भाने लगे ,
उनकी हर ज़िद्द जब आपको अच्छी लगने लगे ,
तमाम और रिश्ते जब आपको दोयम लगने लगे ,
बधाई हो , इश्क चक्रव्यूह के "केंद्र " में पहुँच गए ।
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