Saturday, January 18, 2025

शिरा

मैं भी वो शिरा ढूंढ रहा है , 

जिससे पकड़कर , 

मैं भी चढ़ सकूँ , 

सफलता की ऊँचाइयाँ , 

मैं भी चख सकूँ ,

कामयाबी का स्वाद , 

न जाने क्यों , 

नहीं मिल रहा मुझे वो शिरा , 

कोशिश तो मैं भी कर रहा , 

रात -दिन , हर पल , 

जोश भी नित भर रहा , 

मेहनत से भी नहीं डर रहा , 

फिर क्या कारण हो सकता है , 

जो मुझे नहीं मिल रहा वो उपाय , 

जिससे मैं भी चढ़ सकूँ , 

वो सीढ़ियाँ , जिसे देख , 

दुनिया कहती है , 

हाँ , देखो , वह सफल हुआ।   

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