Sunday, August 31, 2025

नया वर्ल्ड आर्डर

 मानो तो मोदी है ,

न मानो तो ट्रम्प ,

संशय तो राहुल पर है ,

ज़ेलेन्स्की तो निशाने पर है ही। 

 

पुतिन अटल है , अडिग है ,

शी जिनपिंग खेल रहे गेम नई ,

यूरोप माथा पीट रहा ,

कौन गलत , कौन सही। 

 

अफ्रीका वाले मस्त है ,

देख रहे खेल सभी ,

करेंगे भी क्या वो वर्ल्ड आर्डर से ,

उनके घर के हालात ही सही नहीं। 

 

टैरिफ के चक्कर में ,

दुनिया बनी पड़ी है घनचक्कर ,

जबरदस्ती बॉस बनने पर तुला अमेरिका ,

पिछलग्गू है देश कई। 

 

तय होगा नया वर्ल्ड आर्डर ,

बन रहे है ध्रुव कई ,

बारूद के ढेर पर ,

लग न जाए चिंगारी कहीं। 

Thursday, August 28, 2025

सफ़र के नुक्ते

 

कब , कहाँ , किसको , किसकी पड़ी है ,

तन कहीं , मन कहीं, दिमाग की बत्ती बुझी पड़ी है ,

कहने को अकेले का ही सफर है "आनन्द"  यहाँ ,

नन्ही सी गाड़ी में न जाने कितने सवारियों की जिम्मेदारी है।

 

जिम्मेदारी तक तो ठीक ,

उम्मीदों का बोझ भारी है ,

मन गिरवी चंद पैसों खातिर ,

दिमाग में ख्याली पुलाव है ,

तन तरसता थोड़ा सुस्ताने को ,

पिछड़ने का डर लाज़मी है ,

अपने दुःख तो सहे जाते है ,

दूसरों के सुःख का दुःख ज्यादा हावी हैं।

 

जरूरतें तो कम ही है ,

इच्छाओं का ही कोई अंत नहीं है ,

जब तक अप्राप्य है , तभी तक धुन है ,

मिल गया तो फिर वह तुच्छ समान है ,

स्वर्ग की तलाश में भटक रहे सब ,

हर कोई परेशान और खुद हैरान है , 

संतोष किस चिड़िया का नाम है " आनन्द ",

भागते रहना ही तो जिंदगी का दूसरा नाम हैं।

Monday, August 25, 2025

सापेक्षिक पंक्तियाँ

 

विकल्प हमेशा से मौजूद है ,

"भाग लो" या "भाग" लो। १। 

 

राय अपनी तभी दो ,

अगला जब मानने को तैयार हो।२।

 

मेहनत करो , खूब करो ,

मगर दीवार खिसकाने में मत करो।३।    

 

ऊंगलीबाजी हर जगह ठीक नहीं ,

अपना गिरहेबां पहले ठीक करो।४।  

 

उम्मीद जायज है किसी से ,

मगर उसके भरोसे ही मत रहो।५। 

 

रिश्ते दो तरफा ही चलते है ,

अकेले हाथ से चुटकी बजाया करो।६।  

 

मेहनत का उम्र से सीधा रिश्ता है ,

जितनी जल्दी कर लो , अच्छा हैं।७। 

 

नेताओं के आपसी रिश्ते "गुप्त " होते है ,

बहकावे में आकर अपने रिश्ते ख़राब न करो।८। 

 

जो दिख रहा है , वही सच नहीं है ,

सोशल मीडिया के दौर में बड़ा झोल है। ९।

 

जेब में धन है , तब तक पूछे यार -रिश्तेदार ,

जेब खाली , पल्ला झाड़े - धन से चल रहा संसार।१०।  

 

वक्त बदल रहा तेजी से , ताल कैसे कोई मिलाये ,

पिछड़ने का खतरा बड़ा , बस सीखते जाइये। ११।

 

 है "ज्ञान" तो जो माँगे उसको दो ,

हर जगह "ज्ञानी " बनने से बचो। १२।  

Friday, August 22, 2025

अंतिम धुन

 



संदेशा पहुँचा राज दरबार ,

मिलना चाहती है राधा अंतिम बार ,

द्वारकादीश भागे छोड़ सब काम ,

पहुँचे जहाँ राधा कर रही थी अंतिम विश्राम ,

"बजा दो कान्हा , फिर वही धुन ,

अब गहरी नींद सोना चाहती हूँ ,

विरह में बीती सारी ज़िन्दगी ,

वो धुन फिर सुनना चाहती हूँ। "

राधा रानी के अंतिम शब्द ,

सुन कृष्ण मुस्कराये ,

पकड़ी फिर से बाँसुरी ,

जिसे त्याग आये थे वृंदावन धाम ,

अंतिम बार अधरों से ,

बाँसुरी से धुन छेड़ी ,

राधा पहुँच गयी कानन में ,

हौले से मुस्कराई ,

कुँज की गलियों में भागी ,

गोपियों संग अठखेली,

कान्हा को देख सुधबुध खोई ,

दी माखन की डली  ,

धीरे -धीरे आँखे बंद हुई ,

दिव्य तेज शरीर से निकला ,

उर में समा गई बाँसुरी बजैया,

तोड़ दी बाँसुरी ,

अंतिम बार निहारा ,

राधे अमर रहेगा प्रेम तुम्हारा ,

कैसा आलौकिक  प्रेम था ये ,

राधे -राधे हुआ जग सारा।

Wednesday, August 20, 2025

संदेश

 

मुकर्रर है वक्त हर चीज़ का ,

बेवज़ह बैचनीयाँ फिजूल है ,

कर्मों पर ही बस हक़ हमारा ,

चलते रहना जरुरी हैं। 

 

वक़्त तोलता है , परखता है 

किस्मत अपना खेल खेलती है ,

सबसे कमजोर क्षण देकर ,

उजला दरवाजा खोलती है। 

 

बिना कारण कुछ नहीं घटता ,

हर घटना का इक उद्देश्य है ,

उतार -चढ़ाव पाठ ज़िन्दगी के ,

जीवन ईश्वर का सन्देश हैं। 

 

जीवन नाजुक साँसो की डोर ,

वक्त सबका बहुत सीमित है ,

क़द्र कर वक्त की "आनन्द " ,

हर क्षण जीवन से भरपूर है। 

Monday, August 11, 2025

ए आई ( कृत्रिम बुद्धिमता )


कितना अच्छा हो जायेगा , 

हमारा सब काम ए आई से हो जायेगा , 

हमारे सारे सवालों का उत्तर , 

ए आई बड़ी सटीकता से देगा , 

कितना अच्छा हो जायेगा , 

हम कही फँसे तो , 

ए आई हमें रास्ता दिखायेगा , 

कितना अच्छा हो जायेगा , 

बीमारी में वो हमें , 

सबसे अच्छी दवा सुझायेगा , 

कितना अच्छा होगा , 

हमारा हिसाब किताब भी वही रखेगा , 

कितना अच्छा होगा , 

जब वो हमारे सारे दिमागी काम , 

ए आई खुद कर देगा , 

कितना अच्छा होगा , 

स्कूलों में ए आई पढ़ायेगा , 

कितना आराम होगा , 

जब सारे मुश्किल प्रश्न , 

ए आई झटपट सुलझायेगा , 

कितना अच्छा होगा , 

जब वो हमारे अच्छे -बुरे सब में , 

हमारे साथ हमारे दोस्त की तरह होगा, 

कितना अच्छा हो जायेगा , 

जब ए आई का साथ ही काफी होगा , 

क्या फर्क पड़ेगा ? 

जब हम अपनी अक्ल का इस्तेमाल , 

करना भूल जायेंगे , 

दिमाग हमेशा स्थिर हो जायेगा , 

सोचने समझने के क्रम में जो , 

विकसित हुआ था मस्तिष्क हमारा , 

फिर से सिफ़र हो जायेगा , 

ए आई जिस दिन ठहरेगा , 

वही दिन क़यामत का दिन होगा।   

Wednesday, August 6, 2025

जल्दी

हम सब आजकल , 

बहुत जल्दी में है , 

घर में , 

दफ्तर में , 

सड़क में , 

काम में , 

और यही जल्दी , 

हमारा धैर्य , 

खा रही है , 

हम उग्र हो रहे है , 

व्यग्र हो रहे है , 

और खो रहे है , 

मन की शांति , 

सुकून , 

और क्षय हो रहा है , 

हमारे शरीर का , 

हमारे मस्तिष्क का, 

ये जल्दी , 

धीरे -धीरे , 

घुन की भाँति , 

चट कर रही है , 

जीवन को।