Saturday, September 20, 2025

सफलता की कुँजी

 

इक जूनून सा जगाना पड़ता है ,

ध्यान बगुले सा लगाना पड़ता है ,

आसानी से नहीं मिलती मंजिल ,

बाकियों से अधिक श्रम करना पड़ता है। 

 

विश्वास खुद पर रखना होता है ,

निराशाओं को पार करना होता है ,

हुनर तो बहुतों के पास हैं "आनन्द " ,

एक कदम औरों से आगे चलना होता है। 

 

शंका स्वंय पर कमजोरी है ,

इंसान के बूते सब कुछ हासिल है ,

करना पड़ता है त्याग थोड़ा ,

मखमल में कहाँ कमल खिलता हैं। 

 

ध्यान और मेहनत सफलता की कुँजी है ,

परिस्थितियाँ तो बस इक बहाना है ,

लक्ष्य सामने , परिश्रम एकसार ,

गर्जन में ही कदम्ब के फूल खिलते है। 

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