Sunday, December 6, 2009

कागज़ के टुकडो ने बदल दिया इंसान .......

कागज़ के टुकडो ने रुपये , डॉलर में ढल कर !
ज़िन्दगी का सुकून छीन लिया.
सब लग गए हैं उन टुकडो के पीछे , करने उनको जमा,
भूल गए सब नैतिक मूल्य .
भुला दिए सब रिश्ते नाते , वक़्त को ऐसे बदल दिया इन टुकडो ने,
इंसान भूल गया खुद को.
कैसी मारामर मची हैं , कैसा हैं ये हाहाकार ,
इन कागज़ के टुकडो को बना दिया हमने भगवान्.
अब प्रतिष्ठा बन गए हैं ये कागज़ के टुकडो का अम्बार,
अपनी बनायीं ही चीज़ पर अब पछता रहा इंसान.

2 comments:

  1. देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान.....................

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