हिंदी को दोयम दर्जा देने वालो ,
आज तुम्हे बतलाता हूँ ,
हिंदी में सोच कर अंग्रेजी बोलने वालो ,
आज तुम्हे चेतना देता हूँ।
संस्कृत की बेटी हिंदी ,
हमारा आधार हिंदी ,
जन - जन की हिंदी ,
हिंदुस्तान की धड़कन हैं हिंदी।
सशक्त है हिंदी ,
प्रकृति की सरल है हिंदी ,
जैसी लिखी जाती है हिंदी ,
वैसी ही बोली जाती है हिंदी।
आदिकाल से आधुनिक काल तक ,
निरंतर बहती सी हैं हिंदी ,
विद्यापति की हिंदी ,
तुलसीदास और सूरदास की हिंदी ,
केशवदास की हिंदी ,
दिनकर , पंत , प्रेमचंद और गुप्त की हिंदी।
कितनी भाषाओ को समेटे ,
माँ का सा बर्ताव करती हिंदी,
बनते बिगड़ते रिश्तो को अपने में ,
सिमटाते सिमटाते राजभाषा का दर्जा पायी हिंदी,
नौनिहालों से उपेक्षित हिंदी ,
परायो का सम्मान पाती हिंदी,
बेरोकटोक बढ़ रही हिंदी।
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