Friday, September 15, 2017

मधुशाला

न अमीर , न गरीब ,
न कोई ऊँचा , न कोई नींचा ,
सबके लिए एक जैसा ,
ये मधु का प्याला ,
मन भेदो  को हरती ,
सुःख  -दुःख में एक सा ,
कोई मतभेद नहीं करती ,
ऐसी हैं सबकी - मधुशाला।


बदल रही  दुनिया ,
बदल रहे रिश्ते नाते ,
बदल रहे है पैमाने ,
बदल रही साकीबाला ,
स्वार्थ का हर जगह बोलबाला ,
मगर अटल सत्य,
सदा है , और रहेगा
जीवन जब तक ,
गुलजार रहेगी मधुशाला।  


(" मधुशाला " के रचनाकार श्री हरिवंश राय बच्चन जी को समर्पित। ) 

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