खिलने दो , महकने दो ,
हमको भी जीने दो ,
खुदा ने भेजा हैं हमको ,
बड़ी रहमतो और मुद्दत के बाद ,
हमको भी जीने दो।
हमको भी जीने दो ,
खुदा ने भेजा हैं हमको ,
बड़ी रहमतो और मुद्दत के बाद ,
हमको भी जीने दो।
कलियाँ हैं हम ,
हमें भी फूल बनने दो ,
यूँ बेरहमी से मत कुचलो ,
कुछ तो उस खुदा से डरो।
डरा डरा सा बचपन बीत रहा ,
क्यों हर जगह इंसान रुपी जानवर दिख रहा ?
क्या कसूर हैं हमारा ?
कोई हमें नहीं बतला रहा।
सब कहते हैं हम देश का भविष्य हैं ,
क्यों फिर भविष्य इतना डर में पल रहा ?
महफूज नहीं जगह कोई ,
क्यों हर जगह अंधकार पसर रहा।
खिलने दो , महकने दो
हमें भी सपने पूरे करने दो ,
हमें भी पूरा जीवन जीना हैं ,
इतना तो रहम करो।
बहुत खूब
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