Saturday, June 30, 2018

माननीय


ये कौन लोग है ?
कहाँ से आते है ?
समझ नहीं आता , 
ये क्या कुछ अलग खाते है ?

हममें से ही तो थे कल तक ,
फिर अचानक क्यों खास हो जाते है ,
कुर्सी मिलते ही इतना क्यों बदल जाते है ?

कुछ दोष शायद , 
कुर्सी में होगा ,
काठ की इस रचना में , 
कुछ तो जादू टोना होगा। 

कुर्सी जाते ही फिर कैसे खिसयाने लगते है , 
द्वारे द्वारे हाथ जोड़े ,
फिर न जाने शर्म,
कहाँ बेच खा आते है।  

बातों और वादों का जाल फिर फैलाते है , 
चाँद तक सड़क पहुँचाने का जिम्मा उठाते है , 
कपडा , रोटी और मकान को तरसती जनता को ,
अपने  अनर्गल प्रलापों से लुभाते है।  

ये कौन लोग है ?
कहाँ से आते है ?
गिरगिट की तरह रंग बदलने की , 
कला कहाँ से लाते है।  

1 comment:

  1. Sir ye koi or nhi hum logu ne bnaye kurshidharak hai..ye humare bnaye hi khas hai..or fir kurshi m aakar humare liye hi nakam hai..ye hi h ek rajneta

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