जब हम सबसे ज्यादा उदास होते है ,
हमें हमारे सबसे अच्छे दिन याद आते है ,
आँखों की कोरे गीली हो जाती है ,
और यादें आँसू रूप में ढल कर ,
हमारे गालों से लुढ़ककर ,
जमीन को स्पर्श करते है ,
हम गलती करते है ,
अपने हाथों से उनको पोछने लगते है ,
बहने दीजिये उन आँसुओं को ,
मिलने दीजिये जमीन से ,
ये जमीन उन आँसुओं को ,
बीज रूप में ग्रहण करती है ,
और आपके अवसादों को ,
उदासियों को सोखकर ,
आपके लिये आशाओं का ,
उम्मीदों की एक नई पौध जनती है ,
और आपके एक एक आँसुओ को ,
फूल बनाकर आपके जीवन में बिखेरती है।