Tuesday, October 28, 2025

आँसू

 

जब हम सबसे ज्यादा उदास होते है ,

हमें हमारे सबसे अच्छे दिन याद आते है ,

आँखों की कोरे गीली हो जाती है ,

और यादें आँसू रूप में ढल कर ,

हमारे गालों से लुढ़ककर ,

जमीन को स्पर्श करते है ,

हम गलती करते है ,

अपने हाथों से उनको पोछने लगते है ,

बहने दीजिये उन आँसुओं को ,

मिलने दीजिये जमीन से ,

ये जमीन उन आँसुओं को ,

बीज रूप में ग्रहण करती है ,

और आपके अवसादों को ,

उदासियों को सोखकर ,

आपके लिये आशाओं का ,

उम्मीदों की एक नई पौध जनती  है ,

और आपके एक एक आँसुओ को ,

फूल बनाकर आपके जीवन में बिखेरती है। 

Monday, October 27, 2025

क्षण

  

ज़िन्दगी का सफ़र उदासीन ही होता है ,

कुछ क्षण इस सफ़र को बेहतरीन बनाते है ,

वो क्षण कभी खुशियों के होते है ,

कुछ क्षण दुःख के होते है ,

कुछ क्षण सफलताओं के होते है ,

कुछ क्षण हारो के होते है ,

कभी उन क्षणों की याद में ,

कभी उन क्षणों के इन्तजार में ,

ये उदासीन सफर कटता चला जाता है,

सत्य यही है कि यही क्षण ,

इस सफर के मील के पत्थर होते है।   

Friday, October 24, 2025

सफ़र

 

सफर तो अकेले का ही है ,

अकेले ही तय करना है ,

मिलते -बिछुड़ते रहेंगे हर मोड़ पर ,

मंज़िल तक पहुँचना अकेले ही है। 

 

मायने बस यह रखता है ,

मिलने -बिछुड़ने वालों से ,

क्या आपने सीखा ,क्या सिखाया ,

क्या यादें दी , क्या यादों का जखीरा बनाया।

Wednesday, October 22, 2025

वक़्त

 

वक्त को भी ,

वक्त चाहिए होता है ,

आपके मनमुताबिक होने के लिये ,

उसको भी हिसाब लगाना पड़ता है ,

किसके हिस्से से दे आपको ,

किसके हिस्से से काम करे , '

या किसके हिस्से ज्यादा है ,

तसल्ली हो जाने के बाद ,

वो वापस लौटता है ,

मगर कुदरत का रँग देखो ,

किसी के लिए बहुत देर हो चुकी होती है ,

कोई इन्तजार को तैयार नहीं होता ,

और जो विश्वास के साथ डटा रहता है ,

वक्त फिर उसके साथ हो लेता है,

कर्म कीजिये  और इन्तजार कीजिये,

वक्त आपका भी आयेगा ,

बस वक्त को भी थोड़ा वक्त दीजिये।    

Sunday, October 12, 2025

रोते पुरुष

पुरुष दंभ भरते है ,

वो रोते नहीं है ,

उनकी आँखों से ,

आँसू टपकते नहीं है ,

सच है -बिल्कुल सच ,

वो अक्सर दिल के ,

अंदर ही अंदर रोते है ,

और शायद ,

इसीलिये पुरुष अक्सर ,

हृदयघात से ज्यादा मरते हैं।

 

पुरुष रो ले अगर ,

शायद ये दुनिया बहुत बेहतर हो जायेगी ,

आँसुओ से उनके शिलायें पिघल जायेगी ,

मसले बहुत आँसुओ में बह जाते ,

दिल के अवरोध सब निकल जाते ,

मगर बहुत मुश्किल से झरते है ,

आँखों से आँसू पुरुषों के ,

गर होता इतना आसान ये ,

धरती शायद स्वर्ग से कम न होती,

और पुरुष वाकई कोमल हो जाते,

और रोने से  पुरुषत्व और पुरुषार्थ ,

दोनों में कोई कमी नहीं आती।    


Thursday, October 9, 2025

जीवन नाव

 

हो जायेंगे मसले हल ,

चिंता से क्या होगा ,

जो करना है वो कर ,

हल कुछ निकल आयेगा। 

 

कमियाँ किसके अंदर नहीं यहाँ ,

कोई भी तो पूर्ण नहीं है ,

जो प्राप्त है , पर्याप्त है ,

प्राप्य के लिये प्रयत्न कर। 

 

आनन्द बाहर नहीं मिलेगा ,

वो तो मन के भीतर है ,

फँसा हुआ मन बाहर ,

बाहर हर जगह कोलाहल है। 

 

कर्म बहुत जरुरी है ,

उसके बिना गति नहीं है ,

कर्मफ़ल में जो मिले ,

स्वीकार कर और आगे बढ़। 

 

जीवन सागर में उतरी नाव है ,

पतवार तेरी ख़ुद के हाथ है ,

कब लगेगी पार " आनन्द "

ये बस ईश्वर के हाथ हैं।  

 

Sunday, October 5, 2025

हार

 

हार तभी ,

जब तुम मानोगे ,

हार तभी,

जब प्रयास छोड़ोगे ,

हार तभी

जब मौका दुबारा न हो ,

हार तभी

जब तुम मानोगे,

 

तब तक ,

हार, इक सीख है ,

हार ,जीत के लिए सबक है ,

हार , जीत के लिए ललक है ,

हार , एक कसक है , 

हार , जीत का आधार है ,

हार , जीवन का पाठ है। 

Friday, October 3, 2025

जीवन संसार

  

आशा और निराशा के मध्य ,

झूलता रहता है इक मन ,

होनी -अनहोनी की आशंकाएँ ,

चिंतित रहता है  मन ,

समय की मंथर गति में ,

छुपे न जाने कितने राज ,

राजा बने रंक-रंक बने महाराज ,

मन की बेचैनियाँ बहुत ,

इच्छाओं का है अम्बार ,

जिम्मेदारियाँ रीढ़ झुकाये ,

जीवन देखता बस गुबार ,

सुकून को तरसता मन ,

मस्तिष्क करे हुँकार ,

लाभ -हानि के चक्कर में ,

फँसा हुआ जीवन संसार। 

 

पार कैसे लगे ?

बहुत टेड़ा है ये सवाल ,

सबके अपने अपने लक्ष्य ,

सुकून के सबके अपने द्वार ,

समर पल रहा सबके भीतर ,

किसी की जीत , किसी की हार ,

दौड़ में  शामिल सभी,

सबका अपना अपना भाग्य ,

पल -पल जीता जो ,

परवाह नहीं -जीत हो या हार ,

स्वीकार कर हर परिणाम को ,

राग द्वेष सब दरकिनार ,

रिश्ते नातों को देता एक आकार ,

जीवन उसी का समझो - साकार।