Wednesday, October 22, 2025

वक़्त

 

वक्त को भी ,

वक्त चाहिए होता है ,

आपके मनमुताबिक होने के लिये ,

उसको भी हिसाब लगाना पड़ता है ,

किसके हिस्से से दे आपको ,

किसके हिस्से से काम करे , '

या किसके हिस्से ज्यादा है ,

तसल्ली हो जाने के बाद ,

वो वापस लौटता है ,

मगर कुदरत का रँग देखो ,

किसी के लिए बहुत देर हो चुकी होती है ,

कोई इन्तजार को तैयार नहीं होता ,

और जो विश्वास के साथ डटा रहता है ,

वक्त फिर उसके साथ हो लेता है,

कर्म कीजिये  और इन्तजार कीजिये,

वक्त आपका भी आयेगा ,

बस वक्त को भी थोड़ा वक्त दीजिये।    

No comments:

Post a Comment