आशा और निराशा के मध्य ,
झूलता रहता है इक मन ,
होनी -अनहोनी की आशंकाएँ ,
चिंतित रहता है
मन ,
समय की मंथर गति में ,
छुपे न जाने कितने राज ,
राजा बने रंक-रंक बने महाराज ,
मन की बेचैनियाँ बहुत ,
इच्छाओं का है अम्बार ,
जिम्मेदारियाँ रीढ़ झुकाये ,
जीवन देखता बस गुबार ,
सुकून को तरसता मन ,
मस्तिष्क करे हुँकार ,
लाभ -हानि के चक्कर में ,
फँसा हुआ जीवन संसार।
पार कैसे लगे ?
बहुत टेड़ा है ये सवाल ,
सबके अपने अपने लक्ष्य ,
सुकून के सबके अपने द्वार ,
समर पल रहा सबके भीतर ,
किसी की जीत , किसी की हार ,
दौड़ में शामिल
सभी,
सबका अपना अपना भाग्य ,
पल -पल जीता जो ,
परवाह नहीं -जीत हो या हार ,
स्वीकार कर हर परिणाम को ,
राग द्वेष सब दरकिनार ,
रिश्ते नातों को देता एक आकार ,
जीवन उसी का समझो - साकार।
Sadhuvaad
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